चलो आओ की दूर चलें,
अपने घोंसले से मजबूर, चलें |
न मंजिल, न मुसाफिरखाना,
चलते चलें, सुदूर चलें |
बस चहेक उठे थे प्यार के बोल,
राहदारी सारे, हमें घुर चलें |
तेरी परछाई का अहेसास हमें,
लगे रूह के साथ हूर चलें |
सिली सी हवा, नम है मट्टी,
दरख्तों के सायें थे मशहूर, चलें ?
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